मान्यवर कांशीराम साहब की बेबाक़ी पर चर्चा के लिए आज का संस्मरण
RN NEWS CHHTTISGARH
इस देश में अगर किसी ने भारतीय शरणार्थियों के लिए आंदोलन किया है तो वह साहब ने ही किया है। दूसरे शब्दों में इसे बहुजन समाज शरणार्थी आंदोलन भी कह सकते हैं।
सन 1989 जिस दौर में साहब बड़े बड़े आंदोलन बड़ी बड़ी रैलियों के माध्यम से कर रहे थे एक रैली साहब ने बहादुर शाह जफ़र मैदान , दिल्ली में जहाँ आसपास सभी बड़े अखबारों के प्रकाशन दफ्तर स्थिति हैं की थी.…और उस रैली को संबोधित करते समय साहब ने बड़ी ही बेबाक़ी से कहा था कि ए अख़बार वालो कान खोलकर सुन लो !….जहाँ एक ओर देश के दूर दराज कोनों से आये बहुजन समाज के जिंदा लोग इस दिल्ली में जमुना जैसी गंदी नदी , नालों के किनारे , रेल की पटरियों के किनारे छोटी छोटी झुग्गी झोपड़ी बनाकर नारकीय जीवन-यापन कर रहे हैं….वहीं दूसरी ओर गांधी , इंदिरा गांधी ,जवाहर लाल नेहरू जैसे तमाम दूसरे राज नेता राजघाट , शांतिवन जैसी सैकड़ों एकड़ जगह में मुर्दों की शक्ल में घेरे सो रहे हैं ?
जब देश में #बहुजन_समाज_पार्टी यानी हमारी सरकार बनेंगी तो इन सोए पड़े मुर्दों को समेट कर जरा सी जगह में कर दिया जाएगा व शेष बची जगह में बहुजन समाज के जो लोग झुग्गी झोपड़ी में रह रहे हैं , उनको आबाद किया जायेगा।
साहब कहा करते थे कि जितनी जगह में सिर्फ़ इनके गुसलखाने होते हैं उतनी जगह में तो बहुजन समाज के लोगों का पूरा दौलतखाना यानी घर ( झुग्गी झोपड़ी ) होती है। कितनी गैरबराबरी है?
इस गैरबराबरी को कोई और (कांग्रेस/भाजपा) दूर करने के लिए नहीं आएगें । वह केवल तुम्हें कोरे आश्वासन ही देगें , आपके लिए करेगें कुछ भी नहीं , इसलिए ए बहुजन समाज के लोगो , जागो ! बहुजन बनो !! बहुजन समाज बनाकर !!! अपनी सरकारें बनाओ । मांगना छोड़ो , देने वाले बनो ।
इस देश का इतिहास गवाह है कि यहाँ पाकिस्तानी शरणार्थियों को काफी तबज्जो दी गई । इतनी कि वह भारत के प्रधानमंत्री , उप प्रधानमंत्री क्रमशः श्री इंद्र कुमार गुजराल व श्री लालकृष्ण आडवाणी जी भी बने ।
इस संबंध में आनंद बाज़ार पत्रिका (ABP) के सह प्रकाशन हिंदी रविवार साप्ताहिक के तत्कालीन संवाददाता स्वर्गीय श्री उदयन शर्मा जी ने अपने एक लेख में लिखा भी था (उस समय पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था)कि जब पंजाब से कुछ सवर्णों का पलायन होता है तो सरकारें उन्हें भरपूर सुख सुविधायें मुहैय्या करती है व न्यूज भी बनाती है….वहीं इसके विपरीत यही पलायन जब बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश से दबंगों के आतंक से छोटी जातियों के लोगों का होता है तो कहीं कोई खबर नहीं बनती है और न ही कोई किसी प्रकार की सरकारी सुख सुविधाओं को मुहैया कराया जाता हैं ?
साहब के शब्दों में बात यहीं पर नहीं रूकती बल्कि दिल्ली जैसी जगहों पर हर किशन लाल भगत जैसे कांग्रेसी गुंडे इन बहुजन समाज के पलायन किये लोगों पर जुल्म ज्यादती करने का काम करते हैं । इसी जुल्म ज्यादती को रोकने के वास्ते साहब ने हर किशन लाल भगत के खिलाफ पूर्वी दिल्ली से चुनाव भी लड़ा था।
साहब का उस समय आंकलन था कि देश के अकेले चार प्रमुख महानगरों दिल्ली , मुंबई , चेन्नई और कोलकाता में दबंगों द्वारा परेशान किये गए ऐसे बहुजन समाज के पलायन किये लोगों की आबादी लगभग दस करोड़ होगी । जो इन महानगरों में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनवाने के लिए पर्याप्त होगी ।
वामपंथी श्री चतुरानन मिश्र जी ने संसद में और दैनिक जागरण के पत्रकार श्री दीनानाथ मिश्र जो बाद में भाजपा से राज्यसभा सांसद चुने गए थे दैनिक जागरण अखबार में लिखा भी था कि #कांशीराम_साहब का आंकलन एकदम सटीक होता था । उनके आगे अच्छे अच्छे एग्जिट पोल फ़ेल हो जाते थे।
अब बात आज के संदर्भ में यही सब सुख सुविधाएं कश्मीरी पंडितों को मुहैया कराई जा रही हैं ? जबकि बहुजन समाज शरणार्थी की आज भी बेकद्री बरकरार है। कश्मीरी बहुजन समाज का तो कोई जिक्र भी नहीं करना चाहता । अभी हाल में ही जब लद्दाख को अलग किया गया तो देश को जानकारी हुई कि लद्दाख तो पूरी तरह बौद्धों ( बहुजनों ) का है।
आज के लिए बस इतना ही…. मिलते हैं कल साहब के एक नए संस्मरण के साथ । तब तक के लिए –
?जयभीम_जय कांशीराम साहब?
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