निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी होना तय, SC ने खारिज की 2 क्यूरेटिव पिटीशन
आर.एन. न्यूज चैनल
14/01/20
नई दिल्ली: निर्भया के 2 दोषों को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा झटका दिया है। न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नारीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की 5 न्यायाधीशों वाली संवैधानिक पीठ विनय शर्मा और मुकेश द्वारा दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। इस तरह अब इस केस के दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी तय हो गई है।
इस मामले में चार दोषी हैं, जिनमें से दो ने ही याचिका दायर की थी। न्यायीय पिटीशन पर सुनवाई खुली अदालत में न होकर जजों के चैंबर में दोपहर पौने 2 बजे हुई, जिसमें किसी भी पक्ष के वकील के मौजूद होने और बहस करने की अनुमति नहीं थी। नहीं होता है
दरअसल, इस मामले में चार दोष हैं, जिनमें से 2 हत्यारों ने अभी तक सजातीय पिटीशन दायर की थी। बाकि दो दोषी निवायेटिव पिटीशन दायर कर सकते हैं। याचिका दायर करने में देरी की वजह फांसी की सजा को और किसी दिन टालने की कोशिश होगी। पयूरेटिव पिटीशन के बाद दोषियों के पास राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर करने का क़ानूनी अधिकार बचा है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका 18 दिसंबर को खज़िज की थी। अन्य तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट पहले खज़िज कर रही थी, जिसके बाद 7 जनवरी को दिल्ली पटियाला हाउस की ट्रायल कोर्ट ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाने के लिए डेथर्थर जारी कर दिया था। यह वारंट निर्भया की मां की अर्ज़ी पर जारी हुआ था। अर्ज़ी में ट्रायल कोर्ट से मांग की गई थी कि 7 जनवरी को दोषियों की कोई भी याचिका सुप्रीम कोर्ट में या राष्ट्रपति के पास लंबित नहीं है, इसलिए ट्रायल कोर्ट फांसी की सजा को तामील में लाने के लिए कार्रवाई करें।
क्या है मामला
दरअसल, 16 दिसंबर, 2012 को एक 23 वर्षीय महिला के साथ बेहरमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया और दोषियों की ओर से पीड़िता को काफी अत्याचार भी झेलना पड़ा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। इसके बाद अपराध में सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया गया।
आरोपियों में से एक नाबालिग था, जोकि एक किशोर (जुवेनाइल) अदालत के सामने पेश किया गया। वहीं एक अन्य आरोपी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। बाकी बचे चार दोषियों को सितंबर 2013 में एक ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा में कोई बदलाव नहीं किया और अदालत ने दोषियों की पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।
क्यूरेटिव याचिका में विनय शर्मा ने कहा था कि आपराधिक कार्यवाही के कारण उसका पूरा परिवार पीड़ित हुआ है। इसमें कहा गया कि “अकेले याचिकाकर्ता को दंडित नहीं किया जा रहा है, बल्कि आपराधिक कार्यवाही के कारण उसका पूरा परिवार बेहद पीड़ित हुआ है। परिवार की कोई गलती नहीं, फिर भी उसे सामाजिक प्रताड़ना और अपमान झेलना पड़ा है।”
वरिष्ठ अधिवक्ता बीमा सी। अग्रवाल और ए.पी. सिंह के जरिए दायर याचिका में कहा गया, “याचिकाकर्ता के माता-पिता वृद्ध और बेहद गरीब हैं। इस मामले में उनका भारी संसाधन बर्बाद हो गया है और अब उन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगाया गया है।”