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आज कोरबा जिला पुलिस अधीक्षक महोदय व डायल 112 के एस. आई. से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपकर मांग की गई कि पुलिस प्रशासन द्वारा किये जा रहे

प्रेस_विज्ञप्ति

आज कोरबा जिला पुलिस अधीक्षक अधिकारी व डायल 112 के एस। आई। से मुलाकात कर उन्हें ज्ञानापन सौंपकर मांग की गई कि पुलिस प्रशासन द्वारा किए जा रहे अपशब्दों_के_प्रयोग_पर_पूर्णतया_अंकुश लगवाई जाए।

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ज्ञात हो कि एक ओर संगवारी पुलिस के नाम से पुलिस प्रशासन जनता से जुड़ने के लिए भरसक प्रयास कर रही है ताकि पुलिस व जनता के बीच के संबंधित अच्छे होने से जनता निडर होकर सत्य घटना को होने वाली विपरीत परिस्थितियों में उनकी मदद ले सके
वहीं एक कमी सम्पूर्ण पुलिस प्रशासन में देखा गया है कि वह अपशब्दों का प्रयोग चाहे थाने हो या आम पब्लिक प्लेस पुलिस अपनी बातों को दृणता से रखने के लिए अप वर्डों ा उपयोग करती है करती चली आ रही है
जिसके जांच करने के लिये कोरबा पुलिस अधीक्षक को जिले के किसी भी थाने में वॉइस रिकॉर्डिंग यंत्र लगवाकर जांच करने की भी दरकार की गई है
अक्सर जनता या आरोपी या आमजनमानस या उनके परिजन परिवार के सदस्य जब पुलिस के समक्ष अपनी वेदना व सत्य बतलाने जाते हैं तो अक्सर पुलिस विभाग में पदस्त व्यक्ति द्वारा उनकी आवाज को दबाने के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है ज – कॉन्स्ट खिलाफ है
अब अगर पुलिस प्रशासन स्वयं ही अपशब्दों का प्रयोग कर कॉन्स्ट उल उल करता है तो भला जनता से कैसे उम्मीद की जा सलाह देते है कि वह कॉन्स्ट का पालन करेगी
करेगी आज का धर्म है अर्थात मनुष्य के व्यवहार पर नियंत्रण रखने का कार्य आज का संकुचित है है व प्रकृति के नियमों का उललिंग किया जाना या मानव समाज के व्यवहार के प्रतिकूल व्यवहार प्रदर्शित करना का कालिंग करना धर्म का उलटना है

पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों को चाहिए कि तुरंत ही इस * कुप्रथा * को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रत्येक थाने में अपशब्दों के प्रयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध लगवाने के लिए एक सर्कुलर हर थाने में प्रेसित करे व पुलिस की ट्रेनिंग के माध्यम से मानव समाज के लिए व्यक्तित्व पर आधारित व्यक्तित्व निर्माण व्यवहार पर नियंत्रण की कार्यशालाओं में प्रत्येक को समाज के अनुकूल व्यवहारिक बनावें ताकि जन अप ा ी वेदना उनके समक्ष भलीभांति रख सके

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय
औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय

मान और अहंकार का त्याग करके ऐसे वाणी में बात करें कि औरों के साथ-साथ स्वयं को भी खुशी मिले | यानी मीठी वाणी से ही दिल जीते जाते हैं

आरोपी या आमजनमानस परिवार के सदस्य परिजन, पक्ष या विपक्ष उसके साथ अभद्र वाणी या अपशब्दों के माध्यम से बोलना मानव व्यवहार के खिलाफ है, साथ ही मानवाधिकार का उलटिंग है एक भारत देश मे दो अलग व्यवस्था कैसे चल सकती है व्यवस्था तो उस देश के सभी मानव प्राणी के लिए होता है

संविधान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक समान है कि क्या वह नागरिक समाज का आम व्यक्ति हो, पुलिस, मुख्यमंत्री या राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री व इसकी उलट हर बात में निंदनीय है।

और यदि कॉन्स्ट मौखिक अभद्रता परोसने या अपशब्दों का प्रयोग करने की इजाजत देता है तो भला फिर जनता द्वारा एक दूसरे के लिए अपशब्दों का प्रयोग करने पर * एफ.आर. आई। आर। * होना कैसे जायज हो सकता है एक भारत देश मे दो अलग व्यवस्था कैसे चल सकती है अगर कानून, संविधान के रक्षक ही अपशब्दों का प्रयोग करें तो भला जनता कैसे उनके सामने अपनी वेदना रखनेलाने जा सकती है

प्रकृति व मानव समाज का एक ही नियम है

हर क्रिया की समान और समान प्रतिक्रिया होती है

प्रेम दोगे प्रेम मिलेगा नफरत बांटोगे नफरत मिलेगी

अगर पुलिस प्रशासन मानव समाज के लिए प्रेम की भावना विस्वाश की भावना परोसेगी तब प्रतिक्रिया में मानव समाज से भी वही मिलेगा पर अगर अपशब्दों का उपयोग कर मानव समाज से जुड़ना चाहेगी तो मानव व्यवहार के अनुसार कोई नहीं जुड़ेगा बस इसीलिए पढा लिखा हो या अनपढ़ पुलिसिया कार्यवाही से दूर भागता है व आपस ने ही सबकुछ बसाने के चक्कर मे समाज मे मानसिक प्रदूषण बढ़ा रहा है

तो आरोपी हो या परिजन, पक्ष या विपक्ष या कोई आम जनता यह स्वतंत्र भारत देश है जिसमें अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में रहकर हर कोई अपनी बात रख सकता है व अपशब्दों का प्रयोग कर बात को दबाने की कोसिस करना भी जाहिर की आजादी: छीना हुवा

अहंकार के दस प्रकार है जिसमें से एक * # पद * का अहंकार होता है पुलिस प्रशासन को पद के अहंकार का त्याग कर * जनता के सेवक * बन सबसे पहले स्वयं पूर्णतया संविधान का पालन करना होगा

धन्यवाद अदा करता हूँ कि पुलिस वाले का जिसने सत्य बोलने पर मुझे अपशब्दों से तार तार कर दिया अगर ना किये होते तो पुलिस विभाग की यह कमी जो सम्पूर्ण भारत देश मे प्रक्त या वह उजागर कर जनता को तार तार होने से रोकने के लिए अपशब्दों के साथ की प्रयोग पर प्रतिबंध लगवाने की नींव कैसे मिलती है

उदय_निष्पक्ष_ SOCIAL_WORKER

ना मैं हिन्दू ना मुस्लिम ना सिख ना ईसाई
आपसभी की सेवा के लिए मैं हिन्दू भी हूँ मुस्लिम भी सिखाता है ईसाई भी

आगे भारत देश के विभिन्न पदों पर आसित विभागों में पत्राचार जारी रहेगा

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