महिला के घर घुसा फौजी, परिजनों ने बाहर से दरवाजा बंदकर किया पुलिस को सूचना
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बिर्रा पुलिस पर परिजनों ने लगाई संगीन आरोप
रात में महिला के घर घुसा फौजी, परिजनों की नींद खुली तो संदिग्ध हाल में देख बाहर से दरवाजा बंद कर दिया कैद
जांजगीर चांपा। जिला के बिर्रा थाना के अंतर्गत परिजनों ने मामले की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई। लेकिन परिजनों का कहना है कि बिर्रा पुलिस ने फौजी से लेन-देन कर सामान्य प्रवाह के तहत कार्रवाई कर छोड़ दिया।
गौरतलब है कि जांजगीर-चांपा जिला के बिर्रा थाना क्षेत्र के ग्राम किकिरदा में एक फौजी ने रात 11 बजे महिला के घर में घुस गया। घर के लोगों ने उसे स्पष्ट हाल में पकड़ लिया। मामले की रिपोर्ट बिर्रा थाने में दर्ज कराई गई। लेकिन बिर्रा पुलिस ने फौजी से लेन-देन कर सामान्य प्रवाह के तहत कार्रवाई कर छोड़ दिया।
बिर्रा थाना क्षेत्र में इस बात के अफवाहों का बाजार गर्म है कि बिर्रा पुलिस ने फौजी से तीन लाख रुपये छोड़ दिए। वर्तमान में इस मामले में एसडीओपी बी खूंटिया जांच कर रहे हैं।
इसके पहले भी पुलिस के 3 जवान सस्पेंड
बिर्रा थाने में पदस्थ तीन आरक्षकों पर गांजा तस्करों से चार लाख रुपए लेकर छोडऩे का केस अभी तक दबाया नहीं गया है। इसी थाने में पदस्थ कर्मचारियों पर फिर से तीन लाख रुपए लेने का मामला प्रकाश में आया है। हालांकि समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार की असर पर गांजा तस्करों को छोड केे के आरोप में तीन आरक्षकों को सस्पेंड दिया गया है।] लेकिन इस मामले में पुलिस अफसर गोलमोल जवाब देते हुए टीआई तेज कुमार यादव और एएएसआई ललित केसकर और प्रधान आरक्षक किशोर दीवान को अभयदान देते नजर आ रहे हैं।
पूरा मामला यह है कि किरकड़ा निवासी मोहन लाल चंद्रा पिता रथुलाल चंद्रा ने 17 अप्रैल को बिर्रा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 16 अप्रैल की रात 11 बजे अटल चौक मोहल्ले में रहने वाला फौजी रामेश्वर चंद्रा अंधेरे का फायदा उठाते हुए उसके घर के अंदर घुस गया। आया। उसके पुत्रवधू के कमरे में संदिग्ध हाल में उसकी सास देख ली। महिला ने घर के सभी लोगों को जलाई और फौजी रामेश्वर को देखकर कमरे में कैद कर लिया। पड़ोसी सौंखी लाल पटेल को बुलाकर लाए। कमरे के भीतर से रामेश्वर चंद्रा को देखकर अपना भतीजा बताकर उसे छुड़ाने का प्रयास किया। इसके बाद परिजनों ने मामले की सूचना डायल 112 को दी गई। तब तक दरवाजा बंद ही रखा गया था और फौजी को कमरे में कैदकर रखा गया था। डायल 112 की टीम ने फौजी रामेश्वर को थाने थे। इस पूरे मामले के गवाह चिनी लाल चंद्रा, मालिक राम चंद्रा निर्देशक हैं। मोहन लाल चंद्रा की रिपोर्ट पर पुलिस ने फौजी के खिलाफ केवल धारा 457 के तहत जुर्म दर्ज कर छोड़ दिया।
बिर्रा पुलिस हरे नोटों के आगे नतमस्तक हुई
इस पूरे मामले में पीडि़त पक्ष के लोग बिर्रा थाना प्रभारी के आगे गिड़गिड़ाते रहे। लेकिन फौजी के द्वारा दिए गए हरे-हरे नोटों के आगे बिर्रा पुलिस बौनी बनकर रह गए। हरे हरे नोटों के सामने बिर्रा पुलिस नमतस्तक हो गए। बताया जा रहा है कि फौजी रामेश्वर चंद्रा ने पुलिस को इस पूरे मामले में छोटी कार्रवाई के लिए तीन लाख 15 हजार रुपए दिए हैं। यही कारण है कि बिर्रा पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 457 के तहत छोटी कार्रवाई कर छोड़ दी।
किकिरदा में कई सालों से पुलिस-दलाल के मुखिया सक्रिय
बिर्रा थाना क्षेत्र के ग्राम किकिरदा में पिछले कई सालों से पुलिस दलाल के मुखिया सक्रिय हैं। बात चाहे जुआ की हो, या गांजा तस्करी की हो, या शराब तस्करी की हो ये सभी मामले पर पुलिस दलाल के मुखिया के यहां सक्रिय हैं। अगर ग्रामीणों की मानें तो यह ग्राम पंचायत किकिरदा वर्तमान में दलालों का गढ़ बना हुआ है।
सिर्फ फाइलों में कैद होकर रह गई मीना बाई चंद्रा एवं ग्रहण कुमार आदित्य मर्डर कांड
बिर्रा थाना के अंतर्गत ग्राम पंचायत किकिरदा में आज से चार-पांच साल पहले मीना बाई चंद्रा के हत्या के आरोपी आज तक पुलिस पकड़ से बाहर है । इसके बावजूद भी ग्रहण कुमार आदित्य मर्डर कांड भी फाइलों में दबकर रह गई । अगर ग्रामीणों की मानें तो तत्कालीन थाना प्रभारी के द्वारा मीना बाई चंद्रा मर्डर कांड में और ग्रहण कुमार आदित्य मर्डर कांड में अलग अलग 5 से 7 लाख तक रुपए लेने की बात सामने आई । आज पर्यंत मर्डर कांड का खुलासा नहीं होना तत्कालीन थाना प्रभारी की मिलीभगत की ओर इशारा करता है । अब यहां पर देखना यह बाकी रह गया है कि आरोपी युवक फौजी को उसके किए का सजा मिलती है । या लेनदेन करके अभयदान देकर छोड़ दिया जाएगा ।
बिर्रा पुलिस ने अपने बचाव में यह दिया तर्क
इस संबंध में पुलिस ने अपना तर्क दिया है कि आरोपी फौजी केवल घर में घुसा मिला था। पीडि़तों के मुताबिक वह किसी गलत काम को अंजाम नहीं दिया था। यदि पीडि़त अपने बयान में कुछ गलत काम को अंजाम देने की बात करते तो उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जा सकती थी । लेकिन घर के अंदर घुसने मात्र से फौजी के उपर बड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकती। यही वजह है कि पुलिस ने अपने पाकेट भरने के लिए बड़ा ग्राउंड बना लिया और फौजी से तीन लाख रुपए लेकर छोटी कार्रवाई कर छोड़ दिए।
क्या है धारा 457
बिर्रा पुलिस के मुताबिक धारा 457 में चोरी या अन्य किसी प्रयोजन से किसी के घर में घुसने के आरोप में इस धारा का प्रयोग किया जाता है। यह अपराध जमानती है। जबकि फौजी के खिलाफ धारा 452 का भी केस लगाया जा सकता था। यह गैरजमानती धारा है। लेकिन पुलिस ने फौजी को चकमा देकर उसकी नौकरी बचाने के चक्कर में लेन-देन कर लिया और केवल धारा 457 के तहत कार्रवाई कर उसे छोड़ दिया।
-फौजी एक महिला के घर में घुसा था। इसकी रिपोर्ट बिर्रा थाने में दर्ज कराई गई थी। बिर्रा पुलिस ने मामले में धारा 457 के तहत जुर्म दर्ज कर कार्रवाई की और कोर्ट में पेश किया गया है। तीन लाख रुपए लेने की बात किसी के द्वारा प्रूफ नहीं किया जा रहा है।
पटखूंटिया, एसडीओपी डभरा-चंद्रपुर
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